Moumita
Tuesday 14 October 2014
Saturday 7 June 2014
मेरी बीवी और मेरे दोस्त - होली का त्योंहार-final part
मेरी
बीवी और मेरे दोस्त - होली का त्योंहार-4b
उसने कहा
रानी..
पहली
बार
है..
फिर
भी
इतनी
बेताबी..
ले..
और
उसने
झटका
मारा,
आधा लण्ड
मेरी
चूत
को
चीरता
हुआ
अंदर
चला
गया।
मेरी
चूत
का
पर्दा
उस
झटके
से
फट गया
और
मेरी
चीखें
निकल
गई।
उसने
मेरी
दोनों
बाहें
पकड़
कर
अपने
होंठों
से
मेरे होंठ
दबा
लिए।
मेरी
तो
जैसे
दर्द
से
जान
ही
निकल
गयी..
मैं चीखती
रही-
मर
गई
!अहह
!निकाल
कमीने
! फट
गई
मां
! मैं
चुद
गई
री
ईईईईईईईई... बाहर
निकालो..
बस..
अब
नहीं..
लेकिन वो
नहीं
माना
.. मेरी
चुन्चियो
को
चूसने
लगा
मुझे
चूमने
लगा
और
हलके
हलके धक्के
लगाने
लगा..
धीरे
धीरे
उसका
लंड
फिसलते
हुए
अन्दर
जा
रहा
था..
उसने
मेरे पैर
और
ऊपर
उठा
दिए.
मेरी
चूत
ने
भी
पानी
छोड़ना
शुरू
कर
दिया
था...
अब
लंड आसानी
से
अन्दर
बाहर
होने
लगा.
वो
पूरा
लंड
बाहर
खिंच
कर
अन्दर
करते
हुए
मुझे चोदने
लगा.
फ़िर लण्ड
अंदर-बाहर
आसानी
से
होने
लगा,
मानो
मैं
स्वर्ग
में
पहुँच
गई।
चोद ! चोद
दे
आज
मुझे
! तेरी
रखैल
बन
जाऊंगी
! कायल
हो
गई
तेरी
मर्दानगी
पे
!
कभी किस
से
चूत
नहीं
मरवाई
मेरे
दिलबर
! आशिक़
फाड़
दे
! अब
करता
ही
जा
! ज़ोर
ज़ोर से
! हाए
दैया
रे
! दैया
मसल
डाल
मुझे
! फाड़
डाल
मेरी
! अपना
बीज
आज
मेरे अंदर
बो
दे
!
उसने लण्ड
निकाल
लिया
और
मुझे
कहा-
कुतिया
! कमीनी
! हरामजादी
! चल
हो
जा
घुटनो पे
! बन
जा
कुत्ती
! और
वो
पीछे
से
आकर
मेरी
चूत
मारने
लगा,
घोड़ी
बना
के लेने
लगा,
साथ
साथ
में
उसने
अपनी
उंगली
मेरी
पोली
पोली
गाण्ड
के
छेद
में
डाल दी।
मुझे
दोहरा
मजा
दिया
उसने
!
एकदम से
चूत
से
उसने
लण्ड
खींचा
और
मेरी
गाण्ड
में
पेल
दिया।
हाए साले
यह
क्या
किया?
इसको
तो
बहुत
चुदवाया
है
! तू
चूत
मार
मेरी,
प्यास
बुझा मेरी
!
थोड़ी देर
मारने
दे
कमीनी
फिर उसने
निकाल
लिया
अपना
लण्ड
मेरी
गाण्ड
से।
मुझे
खड़ा
करके
कहा-
अपने
हाथ
दीवार से
लगा
ले
और
उसने
पीछे
अपना
लंड
मेरी
चूत
में
लगा
कर
जोर
से
दबाया..
कासी चूत
ने
उसका
लंड
फच्च
के
घुसा
उसके
बाद
उसने
बेदर्दी
से
पीछे
से
चूत
मारी। मै
चिल्ला
रही
थी..
ओह..आह..
हाई..
मर
गयी..
बोहोत
मोटा
है..
हाए ! गई
!गई
!
वो बोला-
आह
! मैं
झड़ने
वाला
हूँ
!
मैंने कहा-
ले
चल
बिस्तर
पे
! मेरे
उपर
लेट
जा
! ताकि
जब
झड़
जायें
तो
तुझे
अपनी बाहों
में
भींच
लूँगी।
उसने मुझे
सीधा
लिटाया
और
मेरे
ऊपर
चढ़
गया
और
ज़ोर
ज़ोर
से
चोदने
लगा।
ओईईईईईईई माआआअ
क्या
नज़ारा
है
! हाए
सईयाँ
दीवाने
! मैं
झड़ने
वाली
हूँ
! आह
!
वो बोला-
हाँ
ले
साली
ले
!
मैं झड़
गई
और
आधे
मिनट
बाद
उसके
लण्ड
ने
शावर
की
तरह
अपना
सा
माल
मेरे
पेट
में डाल
दिया,
जब
उसका
पानी
निकलने
लगा
तब
इतना
मजा
आया
चुदाई
से
भी
ज्यादा
!
मैंने आँखें
बंद
कर
के
उसको
जकड़
लिया-
निकाल
दे
सारा
माल
!
एक एक
बूंद
उसने
निकाल
लिया
और
मेरे
मुंह
में
अपना
लण्ड
डाल
कर
बोला-
साफ
कर
दे अपने
होंठों
से
! ज़ुबान
से
!मेने
जी
भर
कर
उसके
वीर्य
को
पि
लिया
\मे
" उसके ये कहते
ही
मैंने
भी
उसके
गले
में
बाहें
डाल
दी
और
बोली-
आप
भी
असली
मर्द हो।
आपकी
यह
चौड़ी
छाती,
घने
बाल,
मर्दानगी
की
कायल
तो
मैं
हो
गई
आपकी
!मुझे भी असली मर्द
से
चुदवाने
की
चाह
है.
आज
से
मै
आपकी
हो
गयी.
.. उसका
लंड
मैंने जितने
लंड
लिए
उनसे
दुगुना
लम्बा
और
मोटा
था.
करीब
आठ
इंच
लम्बा
और
तीन
इंच के
करीब
मोटा.
.. काला
सा
था..
लेकिन
लंड
का
सुपाड़ा
बोहोत
मोटा
और
गहरे
लाल रंग
का
था.
उसके
छेद
से
कुछ
लिसलिसा
निकल
रहा
था.
मेरी
चूत
भी
काफी
गीली
होने लगी
थी.
उसने
मेरे
जिस्म
के
हर
हिस्से
को
चूमा
और
जीभ
से
गीला
किया...
उसने मेरे
चूतड
फैलाकर
अपनी
जीभ
मेरी
गांड
से
चूत
तक
फेरा...
मै
तो
जैसे
जन्नत
की सैर
कर
रही
थी.
सामने
उसका
हल्बी
लंड..
मै
बंद
कमरे
में
उसके
हाथो
में
मचल
रही थी..
काफी
देर
तक
ऐसे
ही
चाटने
के
बाद
उसने
मुझे
बेड
पर
लेटने
को
कहा.
मै
नंगी थी.
लेकिन
बेशर्मी
से
चल
कर
बेड
पर
सीढ़ी
लेट
गयी..
मेरे दोनों
टांगो
को
फैला
कर
वो
मेरी
दोनों
टांगों
के
बीच
बैठ
कर
अपनी
ज़ुबान
से मेरी
चूत
चाटने
लगा।
जब
वो
मेरे
दाने
को
चबाता,
कसम
से
आग
मच
जाती
! अहह
उह
!!! मेरी चूत गीली हुयी
जा
रही
थी
और
वो
चपर
चपर
जीभ
से
चाट
रहा
था.
होंठो
में
मेरे चूत
के
दाने
को
लेकर
चुस्त
तो
मै
तड़प
उठती..
और
थोड़ी
देर
में..
मै
खुद
को
रोक नहीं
सकी..
और
आ..आ..आह..
मुंह
हटाओ...
मेरा
छुटने
वाला
है..
उफ़..
गयी..ई..ई...ई..
और
मेरा
पानी
निकल
गया..
मैंने उसको
धकेलते
हुए
पीछे
किया
और
जल्दी
से
उसका
लंड
पकड़
लिया
और
घुटनो
के
बल बैठ
कर
चूसने
लगी।मेरे
मुंह
में
उसका
लंड
नहीं
आ
रहा
था..
उसने
मेरे
बाल
पकड़ कर
सर
को
दबाया
और
सुपाड़ा
मेरे
मुंह
में
घुसा
दिया..
मै
उसे
ही
चूसने
लगी.. उसका
हाथ
मेरे
कमर
से
मेरी
गांड
और
फिर
मेरी
चूत
पर
पहुँच
गया...
वो बोला-
हाय
जान
! रानी
! राण्ड
! माँ
की
लौड़ी
! चूस
!
वो अपने
पैर
से
नीचे
मेरी
गाण्ड
के
छेद
में
अंगूठा
डालने
की
कोशिश
करने
लगा।
मुझे भी
फिर
से
मजा
आने
लगा
था..
अंगूठा
चूत
के
दाने
पर
रगड़ने
से
चूत
फिर
से
गरम होने
लगी
थी...
उसने
मुझे
अब
सीधा
लिटाया
मेरे
दोनों
पैर
ऊपर
सर
तक
उठाये
और फिर..
लंड
का
सुपाड़ा
मेरे
चूत
पर
ऊपर
नीचे
इस
तरह
रगड़
रहा
था
की
मेरी
चूत
लंड खाने
के
लिए
बेचैन
होने
लगी..
मै
समझ
रही
थी
की
मेरी
चूत
के
हिसाब
से
उसका
लंड काफी
मोटा
है..
और
मेरा
छेद
बहुत
छोटा..
फिर
भी
ना
जाने
क्यों
मै
खुद
को
रोक नहीं
पा
रही
थी..
मैंने
कहा
मुन्ना
.जी..
बहोत
धीरे
से
डालना..
आपका
बहुत
मोटा है..
मुझे
दर्द
होगा..
लेकिन
शायद
उसने
सुना
ही
नहीं
..फिर
दारू
में
टल्ली उसने
मुझे
सीधा
लिटाते
हुए
अपना
मोटा
लंड
मेरी
छोटी
सी
चूत
में
धकेल
दिया। मै
तो
चिल्ला
उठी..
मर
गयी..ई..ई...ई...ई..
बहुत
मो..टा..
है..
और
उसे
धकेल रही
थी..
लेकिन
उसने
मुझे
बहुत
कस
के
पकड़ा
हुआ
था.
उसने
मेरे
होंठो
पर
अपने होंठ
रख
दिए..
और
चूसने
लगा..
हाथो
से
मेरी
चून्चियों
को
मरोड़
रहा
था..
मै दर्द
से
मरी
जा
रही
थी..
और
तभी
उसने
दूसरा
धक्का
लगा
दिया
और
पूरा
लंड
मेरी चूत
को
फाड़ता
हुआ
मेरी
बच्चेदानी
से
टकराया..
मेरी
आँखों
से
आंसू
निकल
पड़े.. मैंने
कहा
आह.. धीरे
ये
क्या
कर
दिया..आ..आ..
मर
गई
मै..
छोड़
दो
मुझे..
बहुत
दर्द
हो
रहा
है.. !
बोला- कमीनी
! चुप
साली
रंडी
! और
फिर
तो
जैसे
उस
पर
जूनून
छा
गया
.. पूरा
लंड
बाहर तक
खींच
कर
उसने
अन्दर
पेलना
शुरू
कर
दिया..
थोड़ी
देर
में
मेरा
दर्द
कम
हुआ और
मुझे
भी
मजा
आने
लगा..
मैंने
भी
अब
अपनी
गांड
हिला
कर
उसका
साथ
देना
शुरू कर
दिया..
मैं ज़ोर
ज़ोर
से
चुदने
लगी।
जब
जब
उसका
लंड
मेरी
बच्चेदानी
से
रग़ड़
ख़ाता,
मानो स्वर्ग
बिस्तर
पे
आ
गया
लगता
था।
अब मैं
खुद
नीचे
से
बोली-
हाए
मेरे
ख़सम
! फाड़
डाल
! छोड़ना
मत
!
और मैं
गाण्ड
उठा
उठा
के
चुदने
लगी।
उसने
मुझे
घोड़ी
बना
लिया
और
पेलने
लगा।
मैं झड़
गई
लेकिन
वो
थमा
नहीं।
करीब
२५
मिनट
यूँ
ऐसे
ही
गैर
मर्द
की
बाहों
में
झूलती हुई
जो
चुदी।
उसने अपना
गरम
गरम
पानी
जब
मेरी
बच्चेदानी
के
पास
में
छोड़ा,
मैं
पागल
हो
गई।
कितना लावा
निकालता
था
उसका
लंड
!मोउमिता की कहानी पड़
कर
में
तो
हक्का
बक्का
रह
गया...कौशिक
के साथ उसकी चुदाई की
कहानी
पड़
कर
मेरा
तो
लोडा
खड़ा
हो
गया..पर
मुझे दुःख
इस
बात
का
था
की
में
मोउमिता की चुदाई अपने
सामने
नही
देख
पाया
था..\में
अब
चाहता
था
की
मोउमिता की चुदाई अब
मेरे
सामने
हो
और
में
उसका
मजा
लू..\अचानक
मुझे
ऑफिस
के
कम
से
केरल
जाने
के
लिए
कहा
गया
\मुझे
पता
चला
की
केरल में
मालिश
बहुत
अछि
होती
हे
और
वहा
अछे
से
मजे
लिए
जा
सकते
हे\मेने
मोउमिता को राजी कर
लिया
की
वो
मेरे
साथ
केरल
चले\मोउमिता ने पहले तो
आनाकानी
की
लेकिन जब
मेने
उसे
मालिश
वाली
बात
बताई
तो
वो
झट
से
तेयार
हो
गयी\
केरल जाने
के
बाद
हम
लोग
एक
छोटे
से
मालिश-पार्लर
में
गए।
वहाँ
केवल
एक
ही
आदमी था
और
वही
वहाँ
पर
मालिश
करता
था।
उसका
नाम
अखिल था और उसकी
उम्र
२८
साल
थी और
वह
केरल
का
ही
रहने
वाला
था,
वह
यह
छोटा
सा
मसाज
पार्लर
चलाता
था।
अखिल ने मुजे बताया
कि
वहाँ
पर
कोई
लड़की
नहीं
है
जो
कि
किसी
और
लड़की
की
मालिश कर
सके।
वहाँ
सब
की
मालिश
वह
ख़ुद
करता
है,
चाहे
कोई
लड़का
हो
अथवा
लड़की। मैंने
अपनी
पत्नी
को
बताया
तो
वह
पहले
तो
गुस्सा
करने
लगी,
फिर
बाद
में
मान गई,
वह
भी
इस
शर्त
पर
कि
वह
ब्रा
और
पैन्टी
पहने
हुए
ही
मालिश
करवा
लेगी।
यह सुनकर
मैं
भी
राजी
हो
गया।
हमने अखिल से बात करके
अगली
सुबह
७
बजे
का
समय
तय
कर
लिया,
क्योंकि
हमारी
ट्रेन दिन
में
११:४५
को
थी।
हम
दोनों
सुबह
अखिल के मसाज पार्लर
में
चले
गए।
वहाँ अखिल अकेला टी-शर्ट
और
शॉर्ट
में
था,
मेरी
पत्नी
ने
ब्रा
और
पैन्टी
के
ऊपर गाऊन
पहना
हुआ
था।
जब हम
वहाँ
गए
तो
उसने
कहा
कि
पहले
मैं
मैडम
की
मालिश
कर
देता
हूँ,
बाद
में
आप
करवा लेना।
हम
दोनों
सहमत
हो
गए।
मेरी
पत्नी
ने
गाऊन
उतार
कर
बगल
में
रख
दिया
और लाल
रंग
की
ब्रा
और
पैन्टी
में
मालिश
करने
की
मेज
पर
लेट
गई।
मैंने
उसे
छेड़ने की
नीयत
से
कहा,
"ये
ब्रा
और
पैन्टी
भी
उतार
दो,
और
पूरी
नंगी
होकर
मालिश करवा
लो
यार!"
यह सुनकर
पत्नी
गुस्से
भरी
नज़रों
से
मुझे
देखने
लगी
और
कहा,
"एक
कसकर
थप्पड़
लगा दूँगी
अभी।"
अखिल को कुछ समझ
में
नहीं
आया
क्योंकि
उसे
हिन्दी
नहीं
आती
थी,
वह
सिर्फ
मलयालम जानता
था।
अखिल ने मालिश करना
शुरु
किया,
लेकिन
१५
मिनट
में
ही
उसने
कहा, "मैडम
आपको
ये
ब्रा
और
पैन्टी
उतारनी
पड़ेगी
क्योंकि
मालिश
करने
में
मेरा
हाथ फ्री
होकर
नहीं
चल
रहा
है।"
यह
सुनकर
मेरी
पत्नी
कुछ
सोचने
लग
गई
कि
तभी
अखिल बोला, "मैडम
मैं
भी
शादीशुदा
हूँ
और
चिन्ता
करने
की
कोई
बात
नहीं
है।"
तभी मैंने
पीछे
से
हाथ
डालकर
पत्नी
की
ब्रा
की
कप
को
ऊपर
कर
दिया
और
पत्नी
की
दोनों चूचियों
को
पूरा
नंगा
करकके
अखिल को दिखा दिया।
पत्नी
ने
कहा,
"ये
क्या
कर रहे
हो
देव
शर्मा ?" तब
मैंने
कहा,
"अखिल भी विवाहित हूँ
और
ये
चूचियाँ
उसके
लिए कोई
नई
चीज़
नहीं
है,
उसकी
बीवी
के
भी
ऐसी
ही
होंगी
यार।
और
वैसे
भी
जब
उसने सब
कुछ
देख
ही
लिया
है
तो
पूरी
ब्रा
निकाल
देने
में
कोई
हर्ज़
नहीं
है।"
तभी मैंने
एक
ही
झटके
से
अपनी
पत्नी
की
पूरी
ब्रा
खोलकर
निकाल
दी।
अखिल मेरी पत्नी की
दोनों
चूचियों
को
देखने
लगा,
ये
देख
मुझे
बहुत
मज़ा
आया।
फिर अखिल ने कहा, "पैन्टी
भी
उतारनी
पड़ेगी।"
यह सुनकर
मैंने
पत्नी
को
टेबल
से
उतार
ज़मीन
पर
खड़ा
किया
और
एक
ही
झटके
में
उसकी पैन्टी
भी
खींच
दी।
अखिल मेरी पत्नी के
पीछे
खड़ा
था
और
उसके
बड़े-बड़े
चूतड़ों को
बड़े
ध्यान
से
देख
रहा
था।
तभी
मेरी
पत्नी
ने
कहा
कि
मेरी
चूत
पर
आगे थोड़ा
तो
कपड़ा
लगा
दो।
तब
अखिल ने एक पतला
सा
लम्बा
सा
कपड़ा
दे
दिया,
जिसे मेरी
पत्नी
ने
अपनी
कमर
पर
बाँध
कर
अपनी
चूत
के
आगे
से
लटका
दिया।
लेकिन
वह कपड़ा
ऐसे
ही
चूत
के
ऊपर
लटक
सा
रहा
था
कहीं
पर
चूत
के
नीचे
से
बँधा
हुआ
नहीं था।
और
मेरी
पत्नी
फिर
से
मालिश
करवाने
के
लिए
ऊपर
से
नंगी
मेज
पर
लेट
गई
और जोशी
उसकी
मालिश
करने
लगा।
तभी मैंने
अखिल को इशारा किया
कि
वह
उसकी
चूचियों
की
मालिश
कर
दे।
यह
सुनकर
वह मुस्कुराया
और
थोड़ा
सा
तेल
उसकी
चूचियों
पर
डालकर
मालिश
करने
लगा।
यह
सब
देखकर मुझे
बहुत
मस्ती
आई
और
मेरा
लंड
खड़ा
हो
गया।
जब
मैंने
देखा
तो
मुझे
लगा
कि अखिल का लंड भी
खड़ा
हुआ
है।
काफी देर
मालिश
करने
के
बाद
अखिल ने मेरी पत्नी
को
पलटने
के
लिए
कहा।
जब
वह
पलट कर
पेट
के
बल
लेट
गई
तो
उसके
चूतड़
पूरे
नंगे
अखिल के सामने थे
जिन्हें
देखकर वह
मचल
उठा
और
तबीयत
से
उसके
चूतड़ों
की
मालिश
करने
लगा
और
बीच-बीच
में
वह उसकी
गाँड
और
चूत
पर
भी
हाथ
लगा
देता
था,
और
मेरी
ओर
देखकर
मुझे
आँख
मार
देता।
मुझे बहुत
मज़ा
आ
रहा
था।
मेरी
पत्नी
एकदम
मस्त
होकर
पूरी
नंगी
होकर
अपनी
मालिश एक
अजनबी
आदमी
से
मेरे
सामने
ही
करवा
रही
थी
और
काफ़ी
मज़े
भी
लूट
रही
थी। अखिल ने फिर मेरी
बीवी
को
पलटने
को
कहा,
अबकी
बार
जब
मेरी
पत्नी
पलटी
तो
उसकी चूत
से
कपड़ा
सरक
गया
और
चूत
पूरी
नंगी
दिखने
लगी।
यहाँ
पर
बात
कहनी
ज़रूरी होगी
कि
एक
रात
पहले
ही
मैंने
अपने
शेविंग
रेज़र
से
उसकी
चूत
को
पूरा
शेव किया
था
और
आज
उसकी
चूत
बहुत
चिकनी
दिख
रही
थी।
मैंने देखा
कि
अखिल वह कपड़ा हटा
कर
उसकी
चूत
देख
रहा
था।
मैंने
वह
छोटा
सा
कपड़ा हटा
दिया
और
जब
मेरी
पत्नी
ने
पूछा
कि
वह
कपड़ा
क्यों
हटा
रहे
हो
तो
मैंने कहा
कि
अखिल ने सब कुछ
देख
लिया
है
और
अब
अखिल से शरमाने का
कोई
फ़ायदा नहीं।
मेरी
पत्नी
ने
कुछ
नहीं
कहा
और
अब
वह
पूरी
नंगी
होकर
अखिल से
मालिश करवाने
लगी
थी।
जोशन
भी
मालिश
करने
के
बहाने
से
उसकी
चूत
और
चूचियों
पर
मज़े से
हाथ
फेर
रहा
था।
यह
सब
देखकर
मुझे
तो
बड़ा
ही
मज़ा
आ
रहा
था,
और
मेरी
पत्नी भी
मज़े
ले
रही
थी।
तभी अखिल ने मुझसे कहा
- "मैडम की मालिश पूरी
हो
गई,
अब
तुम्हारी
बारी
है।
पर
इससे पहले
मैडम
को
आयुर्वेदिक-गरम
पानी
से
नहाना
पड़ेगा,
क्योंकि
शरीर
पर
काफी
मात्रा में
तेल
है।"
टेबल और
उसके
शरीर
पर
बहुत
सारा
तेल
होने
की
वज़ह
से
वह
टेबल
पर
से
उतर
नहीं
सक रही
थी,
तो
वह
उठकर
बैठ
गई।
बैठने
से
उसकी
नंगी
चूत
खुल
कर
अन्दर
के
नज़ारे
भी दिखाने
लगी,
जिसे
देख
मुझे
और
अखिल दोनों को बहुत
मज़ा
आया।
मैंने
अखिल
से कहा
- "काफी तेल लगा हुआ
है,
इसलिए
मेरी
पत्नी
को
तुम
ही
टेबल
से
नीचे
उतार
दो।" यह
सुनकर
उसने
मेरी
पत्नी
की
गाँड
के
नीचे
हाथ
डालकर
उसे
अपनी
गोद
में
उठाकर नीचे
उतार
दिया
और
मैंने
देखा
कि
अखिल का हाथ उसकी
चूत
व
चूचियों
को
भी
छू रहा
था।
यह
देखकर
मुझे
काफ़ी
मज़ा
आया।
मेरी बीवी
साथ
में
लगे
बाथरूम
में
चली
गई,
और
मैं
और
अखिल बाहर खड़े होकर
उसे
नंगे देख
रहे
थे,
और
तभी
मैंने
पत्नी
को
पलटने
को
कहा।
जैसे
ही
वह
पलटी,
उसे
सामने से
नंगी
देख
मेरा
लंड
फिर
से
खड़ा
हो
गया।
मैंने
ग़ौर
किया
कि
अखिल का
लंड पहले
से
ही
खड़ा
है।
उसने
सिर्फ
एक
अन्डरवियर
पहना
रखा
था,
तो
उसमें
से
एक
तम्बू जैसा
उठाव
देखा
जा
सकता
था।
मेरी
पत्नी
पूरी
तरह
से
नंगी
होकर
बाथरूम
में टेबल
पर
बैठ
गई
और
फिर
गरम
पानी
भरने
लगी।
तभी
अखिल ने मेरी पत्नी
की
पीठ
पर आयुर्वेदिक
साबुन
घिसना
शुरु
किया,
मेरी
नंगी
बीवी
उसका
मज़ा
ले
रही
थी।
बाद में
अखिल अलग हटकर खड़ा
हो
गया,
और
उसे
नंगी
नहाते
मेरे
साथ
ही
देखने
लगा। हमें
काफ़ी
मज़ा
आया।
फिर अखिल ने मुझे मालिश
करवाने
का
इशारा
किया
और
तभी
मैं
पूरा
नंगा
होकर
टेबल
पर लेट
गया
और
मालिश
करवाने
लगा।
कुछ
देर
के
बाद
मेरी
पत्नी
नहाकर
बाहर
निकली।
वह पूरी
नंगी
थी,
मैंने
उसे
बुलाया
और
अपना
लंड
पकड़ने
को
कहा,
क्योंकि
अखिल
ने मेरे
लंड
पर
मालिश
करने
से
मना
कर
दिया
था।
मैंने
अखिल को कहा कि
तुम
मेरी
पत्नी की
चूत
और
गाँड
पर
ख़ूब
मालिश
कर
रहे
थे,
लेकिन
मेरे
लंड
पर
मालिश
करने
में क्या
समस्या
है,
तो
उसने
बस
मुस्कुरा
दिया।
मेरी पत्नी
मेज़
के
किनारे
नंगी
ही
खड़ी
होकर
मेरे
लंड
की
मालिश
करने
लगी।
अखिल मेरी मालिश करते-करते
मेरी
पत्नी
के
नंगे
बदन
को
देख
रहा
था
और
मज़ा
ले
रहा था।
कभी-कभी
वो
उसकी
चूचियों
को
छू
लेता,
तो
कभी
उसकी
गाँड
पर
हाथ
फेर
देता। मैं
भी
ऐसा
ही
कर
रहा
था।
हमें
बहुत
ही
मज़ा
आ
रहा
था।
मैंने अपनी
पत्नी
को
अपना
लंड
चूसने
को
कहा,
अखिल के कारण पहले
वह
मना
करती
रही, पर
बाद
में
राज़ी
हो
गई
और
फिर
उसके
सामने
ही
मेरे
लंड
को
बिल्कुल
लॉलीपॉप की
तरह
चूसने
लगी।
अखिल मेरी मालिश में
मशरूफ
था।
काफ़ी देर
तक
चूसने
के
बाद
मेरा
लंड
झड़
गया
और
मेरी
पत्नी
ने
उसे
एक
कपड़े
से
साफ़ कर
दिया।
तभी
मैंने
अखिल को कहा कि
तुमने
मुझे
और
मेरी
पत्नी
को
पूरा
नंगा देखा,
मगर
हमने
तुम्हें
कपड़ों
में
देखा,
तुम
भी
पूरे
नंगे
होकर
अपना
लंड
मेरी पत्नी
को
दिखाओ।
यह
सुनकर
मेरी
पत्नी
को
गुस्सा
आया
और
वह
बोली
कि
मैं
होटल जा
रही
हूँ,
तुम्हें
जो
करना
हो,
करो।
लेकिन
मेरे
समझाने
पर
वह
राज़ी
हो
गई और
अखिल भी नंगा होने
के
लिए
राज़ी
हो
गया।
अखिल ने अपनी अन्डरवियर
और
बनियान
उतार
दी,
और
पूरा
नंगा
होकर
मेरी
मालिश
करने लगा।
मेरी
पत्नी
जो
कि
बगल
में
पूरी
नंगी
खड़ी
थी
अखिल का लम्बा लंड
देखकर घबरा
कर
बोली,
"अखिल , तुम्हारा तो
काफ़ी
लम्बा
है।
क्या
केरल
में
सबके
लंड ऐसे
ही
लम्बे
होते
हैं?"
यह
सुनकर
अखिल ने बस एक
मुस्कान
देकर
कहा,
"मुझे
नहीं मालूम
मैडम
सबका
होता
है,
या
किसका
होता
है।"
तभी मैंने
अखिल का लण्ड पकड़
लिया
और
उससे
खेलने
लगा।
यह
देख
मेरी
पत्नी
को
मस्ती सूझी
और
वह
अखिल का लण्ड पकड़ने
के
लिए
किनारे
पर
आ
गई
और
नीचे
झुक
कर
बैठ गई।
अखिल मेरी मालिश में
मगन
था।
मेरी
पत्नी
नीचे
बैठ
उसका
लण्ड
चूसने
लगी, वह
उसे
बिल्कुल
लॉलीपॉप
की
तरह
चूस
रही
थी।
यह
देखकर
मुझे
बहुत
मज़ा
आ
रहा था,
और
मेरा
लण्ड
फिर
से
खड़ा
हो
गया।
अखिल ने मुझे पलटने
के
लिए
कहा
और
मेरी
गाँड
पर
मालिश
करने
लगा,
नीचे
मेरी
पत्नी को
लंड
भी
चुसवाता
रहा।
यह
सब
देखकर
मेरा
लण्ड
बहुत
कड़क
हो
गया
और
मैंने चुदाई
का
मन
बना
लिया
और
मैंने
अपनी
पत्नी
को
कहा
कि
तुम
टेबल
पर
किनारे
में घोड़ी
बन
जाओ,
मेरा
चोदने
का
मन
कर
रहा
है।
पहले
थोड़ा
ना-नुकर
करने
के
बाद वह
राज़ी
हो
गई।
मैंने उसकी
जम
कर
चुदाई
की
अखिल के सामने ही।
फिर
अखिल से भी उसे
चुदवा
दिया
घोड़ी बना
कर
ही।
यह
सब
करने
में
काफी
समय
निकल
गया,
पर
हमें
मज़ा
बहुत
आया
था। उसके
बाद
हमने
एक
ऑटो
किया
और
रेलवे-स्टेशन
से
ट्रेन
लिया
और
अपने
घर
वापिस आ
गए।
उस घटना
को
आज
भी
याद
करने
पर
मेरा
लंड
खड़ा
हो
जाता
है।
आपको हमारा
अनुभव
कैसा
लगा,
ज़रूर
लिखे।अब
तो
मैंने
राजबीर
से
दोस्ती
ही
कर
ली
और उसे
अपने
विश्वास
में
ले
लिया
में
जानता
था
की
वो
तीनो
कुछ
भी
करेंगे
तो
राजबीर को
जरुर
बात
पता
चल
जाएगी
और
उससे
में
उगलवा
सकता
हूँ
! अगली
शाम
ऐसे
ही मैंने
एक
दारू
की
बोतल
ली
और
पार्क
में
चला
गया
! वहां
राजबीर
मिल
ही
गया
!
उस दिन
आकाश
और कौशिक
दिन में
ही
दारू
पीकर
गए
थे
इसलिए
वो
पहले
से
ही
नशे
में था
! पर
मुझे
देखते
ही
वो
खुश
हो
गया
होता
भी
क्यों
नहीं
और
लोग
तो
उसे
सिर्फ दारू
पिलाते
थे
पर
में
तो
उसे
पैसे
भी
देता
था
!
"आईये देव शर्मा साहब कैसे है
! अरे
आप
आये
नहीं
आप
के
दोस्त
तो
अभी
दिन
में
ही
यहाँ थे
अभी
एक
घंटे
पहले
ही
गए
है
" मुझे देख वो खुश
था
!
"अरे यार कहा
के
दोस्त
साले,
कमीने
साले
सब
कुछ
अकेले
में
ही
करते
है
बताते
भी
नहीं, दोस्त
तो
तुम
हो
कम
से
कम
मुझे
सारी
बातें
बताते
तो
हो,
वो
तो
दारू
भी
अकेले पीते
है
और
बंदी
भी
अकेले
ही
पेलते
है
" मैंने थोड़ी सी नाराज़गी
से
कहा
!
"हाँ साहब सही
कह
रहे
है
आप,
कल
जब
वो
बंदी
लाये
थे
तो
आकाश
यही कह
रहा
था
की कुछ
भी
हो
ये
बात
देव
शर्मा तक नहीं
पहुचनी
चाहिए
"
मेरा निशाना
सही
बैठा
! राजबीर
अब
मेरे
पक्ष
में
था
!
"चलो कोई बात
नहीं
वैसे
भी
मुझे
इन
चीज़ों
का
शौक
नहीं
अपनी
तो
घर
पर
बीवी
है
हम उसी
से
खुश
है
"
"हा वैसे भी
क्या
रखा
है
इस
रंडीबाजी
में,
साली
ये
रंडियां
आज
तुम्हारी
तो
कल
किसी और
की
जिसने
पैसा
फेंका
उसके
नीचे
लेट
जाती
है
साली
" राजबीर दांत दबा कर
बोला !
"अच्छा एक बात
बताओ
आज
भी
लेकर
आये
थे
उस
बंदी
को
" मैं अपनी बात पर
आया
!
"नहीं भाई आज
नहीं,
आज
तो
दोनों
यही
बैठे
रहे
हाँ
पर
इनका
कोई
दोस्त
है,
वोही
जो इनके
लिए
गाड़ी
लाया
था
शायद
आज
वो
ले
गया
है
उस
बंदी
को
"
"क्या....! अच्छा ...मतलब
अब
इनके
दोस्त
भी
आने
लगे
"
"अरे भाई जब
पैसा
हो
तो
एक
से
एक
बंदी
नीचे
आ
जाती
है
"
"अच्छा क्या नाम
है
उस
का
और
कहाँ
ले
गया
था
उसको
" मैंने कुरेदा !
"नाम तो पता
नहीं
है
भाई,
पर
जब
मैंने
पूछा
के
कल
बंदी
को
गाड़ी
में
कहा
ले
गए
थे तो
उन्होंने
यही
बताया
की
गाड़ी
में
ही
चोदा
है
उसको
"
ओफो !!! मतलब
अब
गाड़ी
में
भी
!
"अच्छा कितने लोग
थे
गाड़ी
में
"
"इन दोनों के
अलावा
एक
ही
था
गाड़ी
में
, ये
गाड़ी
को
एक
मॉल
की
पार्किंग
में
ले गए
और
वही
इन
तीनो
ने
बंदी
बजाई
" राजबीर ने कहा तो
मुझे
ये
सुन
कर
झुरझुरी
सी हुई
की
मोउमिता तीन तीन लोगों
से
एक
गाड़ी
में
चुदी
!
"अच्छा और कुछ
बताया
इन्होने
"
"हाँ भाई और
बात
ही
क्या
कर
रहे
थे
दोनों
बस
इसी
बारें
में
की
कैसे
उसको
चोदा,
कैसे उसके
कपडे
उतारे
क्या
क्या
करवाया
उससे
, बस
दिमाग
ख़राब
कर
दिया
उन्होंने "
"अच्छा जी ! क्या
क्या
बता
दिया
हमें
भी
बता
यार
, चल
दारू
पीते
पीते
ही
बातें
करते है
! बंदी
न
मिली
तो
बंदी
की
बातें
ही
सही
उससे
ही
काम
चला
लेंगे
!" मुझे
पता था
अब
इसको
चढ़
जाएगी
और
ये
सब
कुछ
बकेगा
!
"हा क्यों नहीं
भाई
में
अभी
गिलास,
पानी
और
खाने
को
कुछ
लाता
हूँ
! " राजबीर
चला गया
और
मैंने
घर
पर
मोउमिता को फोन कर
दिया
के
में
लेट
आऊंगा
खाना
बना
कर
रख दे
!
राजबीर सामान
ले
कर
आ
गया,
हम
ने
पीना
शुरू
कर
दिया
अब
में
जान
बुझ
कर
मोउमिता
की बात
ले
कर
बैठ
गया
! तो
राजबीर
भी
बोल
पड़ा
!
"देव शर्मा भाई कुछ भी
हो
बंदी
थी
मस्त
माल,
महँगी
तो
होगी
ही
पर
थी
जबरदस्त
पीस
,
लेने में
मज़ा
आ
जाता
होगा
उसकी
" राजबीर ने मेरी झुरझुरी
को
और
बड़ा
दिया
!
"हाँ तुने तो
उसे
नंगी
भी
देखा
था
" मैंने उसकी आग को
भड़काने
की
कोशिश
की
"भाई मत पूछो,
आज
भी
कभी
आँखें
बंद
करता
हूँ
तो
सपने
में
वोही
सीन
आ
जाता
है,
एक बार
तो
उसको
चुदते
हुए
देखा
था
पर
तब
उसके
कपडे
पुरे
नहीं
उतरे
थे
! दूसरी
बार तो
वो
पूरी
नंगी
ही
थी,
काश
में
थोडा
देर
में
अन्दर
जाता
तो
सब
कुछ
सामने
ही देख
लेता
!" अब तो राजबीर रंग
में
आ
चूका
था
! उसने
कहना
जारी
रखा
!
"भाई पहले तो
जब
वो
कपड़ों
में
थी
तब
क्या
गज़ब
लग
रही
थी
! बदन
से
चिपका
हुआ
उसका सूट
सलवार
, गदराया
हुआ
शरीर,
भाई
जब
वो
दोनों
उसे
अन्दर
ले
गए
तभी
मेरे
मन में
उठा
की
काश
में
भी
इसको
चोद
पाता,
मैं
अन्दर
इसीलिए
गया
था
की
शायद
मेरा भी
नंबर
लग
जाये
!
पर जैसे
ही
अन्दर
गया
तब
तक
वो
उसे
नंगी
कर
चुके
थे
, वाह
!! क्या
तराशा
हुआ
सांवला बदन
था
भाई
कौशिक
ने उसे
दीवार
से
सटा
कर
खड़ा
किया
हुआ
था
, क्या
मस्त
जांघें थी
भाई
उसकी
भरी
भरी
! मस्त
चुचे,
कौशिक
उसकी चूत
में
लंड
डाल
ही
चूका
होता अगर
में
न
आता
! मुझे
देखते
ही
साली
हल्ला
करने
लगी
! तभी
तो
वो
दोनों
उसे लेकर
वहां
से
चले
गए
! एक
मौका
चुक
गया
साली
ज्यादा
नखरे
करती
तो
वही
रेप
कर देता,
"
"तो अगली बार
मौका
मिला
तो
उसका
रेप
कर
देगा
क्या
" मैंने पूछा
"हाँ भाई मौका
देख
कर
चोका
मारूंगा"
"और अगर वो
तुझे
खुद
ही
दे
दे
तो
"
"कैसे भाई , ऐसा
हो
सकता
है
क्या
" उसने उम्मीद से पूछा
!
"हाँ क्यों नहीं
हो
सकता,
अगर
मेरा
साथ
दो
तो
हो
सकता
है
"
"बताओ भाई क्या
करना
पड़ेगा
उसकी
लेने
के
लिए
" अब वो उतावला था
!
"बस जैसा में
कहूँ
वैसा
करते
रहो"
"बताओ भाई आदेश
करो
उसकी
लेने
के
लिए
मैं
तो
मरे
जा
रहा
हूँ
"
"सबर कर भाई
मिलेगी,
अगर
सब
कुछ
प्लान
के
मुताबिक
रहा
तो
वो
तेरे
नीचे
होगी,
पहले ये
बता
के
कल
गाड़ी
में
क्या
क्या
हुआ
किसी
ने
बताया
तुझे
" मैं फिर घूम
फिर कर
वही
आ
गया
!
"भाई जब यहाँ
से
बंदी
अपने
कपडे
पहन
कर
बाहर
जाने
लगी
तभी
इन्होने
उसे
रोक
लिया और
अपने
एक
दोस्त
को
फोन
कर
दिया
! वो
गाड़ी
लेकर
आ
गया
पर
बंदी
उसके
साथ
गाड़ी में
चलने
तो
तैयार
ही
नहीं
हुई
, पर
इन
दोनों
ने
ज़बरदस्ती
उसको
उठा
कर
गाड़ी में
बैठा
लिया
! गाड़ी
में
अब
ये
तीनो
ही
थे
और
मोउमिता
उनके साथ अकेली
!
" "सबसे पहले तो
कौशिक
ने उसको
पेला
, फिर
आकाश
ने और
लगे
हाथों
उस
तीसरे
बन्दे ने
भी
, उसने
तो
अपना
लंड
भी
चुसवाया
"
"ओह हो .....लंड
वाह
....मज़ा
आ
गया
, कौन
था
वो
बंदा
!
"पता नहीं भाई
, पर
उनका
एक
बार
फिर
प्रोग्राम
है
उसी
बन्दे
के
कमरे
पर
"
"अच्छा ध्यान रखियो
और
मुझे
पहले
ही
बता
दियो"
"पर भाई एक
बात
है
वो
घस्ती
बिना
कोंडम
सबका
लंड
ले
जाती
है
"
"भाई मज़ा भी
तो
बिना
कोंडम
है
ना"
"पर भाई अब
मुझे
भी
उसकी
चूत
मारनी
है
"
"हाँ हाँ पर
उसके
लिए
तुम्हे
थोडा
सा
नाटक
और
अपना
थोडा
हुलिया
बदलना
पड़ेगा
"
"जो बोलो भाई
करूँगा
, बस
एक
मौका
दिलवा
दो
"
मै अपने
दिमाग
मै
प्लान
बना
चूका
था
, बस
जरुरत
थी
एक
मौके
की
!
राजबीर के
साथ
दो
पेग
मार
कर
मै
घर
आ
गया
, अब
मै
सोच
चुका
था
अब
जब
इतना
सब
कुछ हो
चुका
था
तो
अब
क्या
घबराना
मोउमिता को धीरे धीरे
मनाना
शुरू
करता
हूँ
ताकि उसको
भी
अचानक
बुरा
ना
लगे
की
मुझे
सब
पता
है
! इतना
तो
था
की
उसे
लंड
लेने मै
कोई
परहेज़
नहीं
है
और
वो
जब
वो
चार
अनजान
लोगों
से
तीन
दिनों
के
अन्दर इतनी
बार
चुद
सकती
है
तो
मेरे
साथ
रहकर
तो
मै
जिस
से
बोलू
उससे
चुद
भी
सकती है
और
वैसे
भी
अगले
पांच
महीने
मै
मेरा
ट्रांसफर
कही
और
हो
जाएगा
तब
तब
जितने मज़े
लेने
है
ले
लेते
है
!अपनी
प्लानिंग
को
आगे
बढ़ाते
हुए
मैंने
मोउमिता
को अब
पटाना
शुरू
कर
दिया
, सुबह
में
ऑफिस
चला
जाता
तो
वो
एक
बार
तो
दिन
में
जरुर वो
उन
चारों
में
से
किसी
न
किसी
से
चुदवा
ही
आती
थी
,कभी
कभी
तो
दो
तीन
भी एक
साथ
हो
जाते
थे
! में
राजबीर
का
सेल
नंबर
ले
आया
था
और
मैंने
उसे
अच्छी
तरह बताया
हुआ
था
की
अगर
मोउमिता की लेना चाहता
है
तो
मुझे
वहां
की
हर
एक
रिपोर्ट चाहिए
, ताकि
जिससे
में
अपना
प्लान
आगे
बड़ा
सकूँ
! राजबीर
भी
मुझे
सारी बातें
बताने
लगा
, मतलब
की
मोउमिता वही आकर पिली
या
वो
उसे
कहीं
बाहर
ले
गए ! अब
रातों
को
भी
में
मोउमिता को रोज़ चोदने
लगा
था
! और
सच
में
मुझे
ये
लगता ही
नहीं
था
की
दिन
में
उसने
अपना
कांड
भी
करवाया
होगा
! मुझसे
भी
उसी
जोश
में चुदती
थी
जैसे
दिन
में
उन
लोगों
से
चुदती
होगी
!
अब रातों
को
मोउमिता की चुदाई करते
हुए
मै
उससे
थोड़ी
गन्दी
बातें
भी
करने
लगा
था , जैसे
की
उसे
किस
तरह
चुदना
पसंद
है
! लंड
चुसना,
गांड
मरवाना
, वगेरह
वगेरह ! वो
भी
अब
खुल
कर
मुझसे
बात
करने
लगी
थी
!
एक दिन
ऐसे
ही
सेक्स
करते
हुए
बातों
ही
बातों
मै
मैंने
उससे
पूछ
लिया
की
अगर
उसे कोई
दूसरा
मर्द
चोदे
तो
वो
किस
मर्द
को
पसंद
करेगी
, पर
उसने
उस
वक़्त
कुछ
नहीं कहा
और
बात
को
कहीं
और
घुमा
दिया
मै
समझ
गया
की
अभी
कुछ
वक़्त
लगेगा
!
पर मै
अब
रोज़
ही
सेक्स
करते
हुए
उससे
यही
पूछने
लगा
! धीरे
धीरे
वो
भी
खुलने
लगी पहले
तो
उसने
अपने
पुराने
पड़ोसियों
( पंजाब
वाले)
का
ही
नाम
लिया
! फिर
वो
अपने ही
मोहल्ले
के
कुछ
लोगों
का
नाम
बताने
लगी
पर
उसने
कभी
उन
तीनो
मै
से
किसी का
नाम
नहीं
लिया
!
और राजबीर
से
मै
रोज़
ही
खबर
लिया
करता
था
!
मोउमिता के साथ जाकर
मैंने
उसके
लिए
थोड़ी
सी
शोपिंग
करने
की
सोची
! छुट्टी
के
एक दिन
हम
दोनों
लाजपत
नगर
की
मार्केट
मै
शौपिंग
करने
पहुचे,
वहां
की
मार्केट
मै हर
तरह
के
कपडे
मिल
जाते
है,
जिस
तरह
के
कपडे
मै
चाहता
था
एक
वैसी
ही
दूकान
मे, मै
मोउमिता को लेकर गया
! पहले
तो
मोउमिता को कुछ समझ
नहीं
आया
, पर
जब
हम
वहां अपनी
पसंद
की
ड्रेस
पसंद
करने
लगे
तब
मोउमिता ने मुझ से
पूछ
ही
लिया
!
"ये क्या आप
ये
कौन
सी
दूकान
में
आ
गए
, ऐसे
कपडे
में
कहाँ
पहनती
हूँ
"
"अरे कोई बात
नहीं,
नहीं
पहनती
तो
अब
पहन
लो
ना"
"पर ऐसे कपडे
पहनने
के
लिए
तो
मौहाल
भी
वैसा
ही
होना
चाहिए
ना"
मै तब
सोच
रहा
था
की
तुम्हे
कपडे
पहनने
की
क्या
जरुरत
है,
तुम्हे
तो
जो
भी
पहना दो
वो
तो
कमरे
में
जाते
ही
उतर
जाना
है
!
"माहौल तो बनाने
से
बनता
है
मै
कब
कह
रहा
हूँ
की
तुम
इन
कपड़ों
को
अपनी
गली
में
या मोहले
मै
पहनो
! ये
तो
कभी
हम
बाहर
घूमने
या
फिर
कभी
घर
पर
पहनने
के
लिए
है
"
"घर पर ...? अगर
कोई
तुम्हारा
दोस्त
या
कोई
और
आ
गया
तो
फिर
बार
बार
कपडे
चेंज
करते रहो"
"अरे नहीं ...ऐसा
क्यों
करना
है
, भई
हमारा
घर
है
हम
चाहे
जैसे
भी
कपडे
पहने
किसी को
उस
से
क्या
, हाँ
अगर
कोई
रिश्तेदार
वगेरह
आते
है
तो
तब
थोडा
ठीक
से
रहो "
"पर ऐसे कपड़ों
में
शर्म
नहीं
आएगी
किसी
के
सामने
"
मैंने मन
ही
मन
सोचा
चार
चार
मर्दों
के
सामने
कपडे
उतार
के
नंगी
होने
में
तो
शर्म नहीं
आयी
और
कपडे
पहनने
में
शर्म
आएगी
मैडम
को
!
"अरे शर्म कैसी
कपडे
ही
तो
पहने
है
कोई
उतारे
कोई
है
"
"पर कोई क्या
सोचेगा
"
"यही की भाभी
बहुत
मोर्डन
है
"
"पर तब भी"
"अरे यार अगर
कोई
गलत
सोच
भी
रहा
है
तो
सोचने
देना
, तुम्हे
इससे
क्या
फरक
पड़ेगा , और
कौन
सा
तुम्हे
इन
कपड़ों
में
देख
कर
कोई
तुम्हे
मना
कर
देगा
, वो
भी
तुम्हे देख
कर
आँहें
भर
लेगा
"
"चलो तुम भी
ना
"
कुछ देर
हम
वहां
रहे
और
मोउमिता और मैंने दो
तीन
ड्रेस
सेलेक्ट
की
और
वहां
से
किसी रेस्तरां
में
खाना
खाया
फिर
हम
एक
मूवी
देख
कर
शाम
को
ही
घर
पहुचे
!
रास्ते में
मैंने
देखा
मोउमिता का फोन साइलेंट
मोड
पर
था
और
वो
बार
बार
अपने
फोन को
देख
रही
थी
! शायद
उन
में
से
किसी
का
होगा
, पर
मेरे
साथ
वो
कैसे
उठा
सकती थी
! मैंने
एक
जगह
देख
कर
गाडी
रोकी
और
कुछ
सामान
लेने
की
बात
कह
कर
वह
से दूर
चला
गया
पर
एक
जगह
जाकर
मैंने
देखा
मोउमिता ने अपने फोन
से
किसी
को
फोन
किया और
कुछ
देर
बात
करके
फिर
नीचे
रख
दिया
! जरुर
उन्ही
को
फोन
किया
होगा
!
हम घर
पहुचे
खाना
तो
हम
खा
ही
चुके
थे
, सोने
से
पहले
मैंने
वही
अपना
प्लान
पूरा किया
और
मोउमिता को चोदते चोदते
फिर
वोही
बातें
करने
लगा
!
अगली सुबह
में
ऑफिस
जाने
के
लिए
निकला
और
मोउमिता से कहा की
आज
वो
कल
वाली
ड्रेस में
से
एक
ड्रेस
पहने
और
कोई
भी
आये
पर
उसे
चेंज
ना
करे
और
शाम
को
मुझे
बताए की
उसे
कैसा
लगा
!
में घर
से
निकला
और
सीधा
राजबीर
के
पास
पहुच
गया
! और
उसे
कुछ
समझाया
मेरी
बातें सुनते
ही
वो
खुश
सा
हो
गया,
और
उसकी
आँखों
में
एक
चमक
सी
आ
गयी
! कुछ
देर उसके
साथ
रहने
के
बाद
में
ऑफिस
के
लिए
निकल
गया
!
ऑफिस पहुच
कर
मैंने
मोउमिता को फोन किया
तो
वो
नहाने
जा
ही
रही
थी
! फिर
मैंने
दिन में
फोन
करने
की
बात
कह
कर
फोन
काट
दिया
! राजबीर
को
फोन
मिलाया
तो
वो
मेरे प्लान
के
मुताबिक
तैयार
था
! पर
मेरे
ही
फोन
का
इंतज़ार
कर
रहा
था
!
मैंने उसे
फिर
से
फोन
पर
समझाया
और
बिलकुल
ठीक
करने
को
कहा!
दिन के
समय
मैंने
मोउमिता को फोन किया
तो
वो
घर
पर
ही
थी
!
"और जान क्या
कर
रही
हो,
"
"कुछ नहीं टी
वी
पर
प्रोग्राम
देख
रहीं
हूँ"
"अच्छा क्या पहना
है
तुमने
, कल
वाली
ड्रेस
पहनी
है
ना
"
"हां बाबा वही
पहनी
है
, वैसे
ड्रेस
काफी
आरामदायक
है
और
अच्छी
भी
लग
रही
है
"
"आरामदायक तो ठीक
है
पर
अच्छी
है
ये
तुम्हे
कैसे
पता
चला
, अपनी
तारीफ़
खुद
कर
रही हो"
"अरे नहीं अभी
सामने
वाले
गुप्ता
जी
के
स्टोर
पर
सामान
लेने
गयी
थी
, वही
सब
आँखें फाड़
फाड़
कर
देख
रहे
थे
! गुप्ता
जी
ने
काफी
तारीफ़
की
इस
ड्रेस
की
"
मै जानता
था
उस
गुप्ता
को
यही
कोई
पेंतीस
छत्तीस
साल
का
आदमी
था
! साला
बड़ा
हरामी था
अपने
यहाँ
आने
वालीं
औरतों
पर
हमेशा
बुरी
नज़र
रखता
था
, हमेशा
कोशिश
में रहता
था
की
कोई
उससे
पट
जाये,
और
हुआ
भी
वो,
उसने
कई
औरतों
को
पटाया
हुआ
था और
अपनी
दूकान
के
पीछे
ही
एक
जगह
पर
एक
बेड
लगाया
हुआ
था
दिन
के
समय
जब
भीड़ कम
होती
है
तब
वो
उन्ही
औरतों
को
वहां
बजाया
करता
था
!
"अच्छा मतलब हमारी
पसंद
अच्छी
है
"
"हाँ वो तो
है
, में
सोच
रहीं
हूँ
अगली
बार
कुछ
और
ड्रेस
लाई
जाये
"
"हाँ हाँ जब
आप
कहो
"
तभी घंटी
बजी
, मोउमिता ने फोन कान
पर
लगाये
लगाये
ही
दरवाज़ा
खोला
! मुझे
उसकी
आवाज़ फोन
पर
ही
सुनायी
दी
"अरे ...तुम......यहाँ.......ओहो
"
"क्या हुआ मोउमिता कौन है "
"नहीं ..नहीं कोई
नहीं
...गुप्ता
जी
की
दूकान
से
लड़का
है
सामान
छोड़ने
आया
है, में
आप
को
अभी
फोन
करती
हूँ
" ऐसा कह कर मोउमिता ने फोन काट
दिया
!
मैंने घड़ी
की
तरफ
देखा
, टाइम
देख
कर
मेरे
चेहरे
पर
हंसी
आ
गयी
!
कुछ देर
मैंने
फोन
किया
तो
मोउमिता ने नहीं उठाया
, फिर
मैंने
दोबारा
फोन
नहीं
किया और
उसके
फोन
का
इंतज़ार
करने
लगा
!
काफी देर
बाद
मोउमिता का फोन आया
तो
उसने
बताया
की
जो
सामान
गुप्ता
जी
की
दूकान
से आया
था
उसे
किचन
में
लगा
रही
थी
इसलिए
फोन
नहीं
उठाया
!
शाम को
मै
घर
आया
तो
मोउमिता घर पर थी
, मस्त
गज़ब
माल
लग
रही
थी
उस
ड्रेस
मै
!
मै फ्रेश
हुआ
और
मोउमिता से कुछ देर
बाहर
किसी
से
मिल
कर
आने
की
कह
कर
चला
गया
! वहां से सीधा मै
पार्क
मै
राजबीर
के
पास
चला
गया
! वो
वही
दारू
पीता
मिला
उसके साथ
एक
आदमी
और
था
! मुझे
देखते
ही
वो
खशी
से
मुझसे
गले
मिल
गया
! कुछ
देर बैठने
के
बाद
उसने
उस
आदमी
को
वहां
से
विदा
किया
और
मेरा
एक
पेग
बना
दिया
! आज वो बड़ा खुश
लग
रहा
था
!
"सच मै देव
शर्मा भाई आप
ने
लाइफ
बना
दी
मेरी,
सपना
पूरा
कर
दिया
मेरा
"
"अरे पहली बार
मै
ही
सपना
पूरा
कर
दिया
क्या,
या
कुछ
बचा
है
अभी
"
"मतलब यही है
भाई
अब
कहा
जाती
है
वो
मुझसे
बचकर"
"सब कुछ कर
दिया
या
कुछ
अगली
बार
के
लिए
भी
छोड़
दिया
है
"
"अरे नहीं भाई
अभी
कहाँ
अभी
तो
बहुत
कुछ
करना
है
, अभी
तो
फिल्म
शुरू
हुई
है
"
"अच्छा हमें भी
बताओ
क्या
क्या
हुआ
आज
"
"भाई जैसा आपने
बताया
था
उसी
टाइम
पर
मै
उस
बंदी
के
घर
पर
गया
, किसी
को
शक
ना
हो इसलिए
एक
दो
लिफाफे
और
एक
बेग
लेकर
इस
तरह
से
गया
की
मै
कुरिअर
वाला
लगूं
!
"अच्छा ...तो फिर"
"भाई दरवाज़ा उसी
ने
खोला
, भाई
कसम
से
क्या
मस्त
लग
रही
थी
! घुटनों
के
ऊपर
तक
एक चिपका
हुआ
निकर
पहना
था
, ऊपर
से
एक
कसा
हुआ
टॉप
उसमे
मस्त
उभार
दिख
रहे
थे
, टॉप का भी एक
बटन
खुला
था
चुचे
तो
जैसे
फाड़
कर
बाहर
आने
को
तैयार
थे
"
"मतलब शुरुआत ही
मस्त
हुई
"
"अरे भाई मुझे
देखते
ही
उसकी
सांसें
बंद
हो
गयी
किसी
से
फोन
पर
बातें
कर
रही
थी ! उससे
भी
झूठ
बोला
की
दूकान
से
कोई
आया
है
...हा
हा
हा
.."
"गांड फट गयी
होगी
उसकी
तुझे
देखते
ही
"
"अरे भाई मुझे
देखते
ही
अन्दर
बुला
लिया
और
बाहर
देख
कर
झट
से
दरवाज़ा
बंद
कर
लिया , गुस्से
मै
बोली
की
तुम
यहाँ
कैसे
आये
, मै
भी
बिना
डरे
बोलने
लगा
तो
वो
चुप हो
गयी
, सोच
रही
थी
की
मुझे
डरा
देगी,
पर
मैंने
ही
उसे
डरा
दिया
"
"तुमने वही कहा
ना
जो
मैंने
समझाया
था
"
"हा भाई मैंने
उसे
धमकी
दी
की
अगर
वो
, मेरी
बात
नहीं
मानेगी
तो
मै
उसके
पति
को सब
कुछ
बता
दूंगा
और
वो
फोन
की
क्लिप
भी
दिखा
दूंगा
जो
मैंने
पम्प
हॉउस
मै
बनाई थी"
"अच्छा फिर वो
क्या
बोली"
"बोलना क्या था
एकदम
से
उसका
सुर
सीधा
हो
गया
, लगी
मेरी
मिन्नतें
करने,
मैंने
भी फिर
उसे
प्यार
से
समझा
दिया
की
को
बात
नहीं
ये
बात
उसके
और
मेरे
बीच
मै
रहेगी "
"अच्छा फिर कैसे
मनाया
उसको"
"भाई मैंने उसको
कहा
की
देखो
अगर
जब
चुदना
ही
है
तो
मुझमे
क्या
कमी
है
, मेरे
पास भी
वैसा
ही
हथियार
है
जैसा
उन
सब
के
पास
है
! और
मै
उनसे
ज्यादा
अच्छे
तरीके से
तुम्हे
संतुष्ट
कर
सकता
हूँ
, वो
तो
तुम्हे
घस्ती
की
तरह
चोदते
है
मेरे साथ
मज़े
अलग
ही
होंगे
"
"तब क्या बोली
वो
"
"कुछ नहीं भाई
मेरी
बातें
सुनती
रही
, उसको
लेकर
मै
वहीँ
सोफे
पर
बैठ
गया
और
धीरे धीरे
उसकी
जांघों
पर
हाथ
फेरने
लगा
! पहले
तो
उसने
मेरा
हाथ
हटा
दिया
पर
फिर उसे
भी
मज़ा
आने
लगा
और
वो
धयान
से
सुनने
लगी
, चिकनी
जांघों
पर
हाथ
फेरने
मै सुरसुराह
सी
हो
रही
थी,
बड़ी
देर
तक
जांघें
गरम
करने
के
बाद
, मैंने
अपना
हाथ उसकी
कमर
पर
फेरते
हुए
उसकी
एक
चूची
पकड़
ली
और
जोर
से
दबा
दिया
"
"उसने हाथ नहीं
हटाया
इस
बार"
"जैसे ही मेरा
हाथ
उसकी
चूची
पर
पंहुचा
उसने
मेरा
हाथ
पकड़
लिया
और
उसे
वही
चूची पर
रखे
रखे
ही
दबाने
लगी"
मै सोच
मै
खो
गया
की
किस
तरह
से
राजबीर
ने
मोउमिता की जांघों पर
हाथ
फेरते
हुए
कैसे उसकी
चूची
को
दबाया
होगा!
सोच
कर
मेरा
६
इंच
से
७
इंच
हो
गया
!
"फिर बता यार
तेरे
तो
मज़े
शुरू
हो
गए
"
"भाई अब तो
मेरे
हाथों
का
कमाल
शुरू
हो
गया
, मैंने
उसके
बदन
को
टटोलना
शुरू
कर दिया
, जहाँ
मन
करता
वही
हाथ
फेरने
लगा
! उसको
मैंने
वही
सोफे
पर
सीधा
लेटा
दिया उसकी
टाँगें
अपनी
गोद
मै
रखी
और
उसके
जांघों
को
चूमने
लगा
! मस्त
कसा
हुआ
बदन है
साली
का
, उसकी
आँखें
बंद
हो
गयी
, फिर
उसकी
टॉप
का
एक
और
बटन
खोल
दिया, अब
तो
वो
पूरी
गरम
हो
गयी
थी
! मैंने
धीरे
से
उसका
टॉप
ऊपर
कर
दिया
और
उसकी ब्रा
मै
कैद
कबूतरों
को
ब्रा
के
ऊपर
से
ही
चूसने
लगा
, अब
तो
वो
पागल
हो
गयी और
मेरे
बालों
को
पकड़
लिया
और
कस
के
उन्हें
खीचने
लगी
, अब
मैंने
अपना
हाथ
उसकी निकर
की
तरफ
किया
और
उसका
बटन
खोलने
लगा
पर
बटन
बहुत
टाईट
था
तो
मैंने
अपने हाथ
उसकी
गांड
पर
रख
दिए
और
उन्हें
मसलने
लगा
, गांड
भी
बहुत
कसी
थी
,
निकर के
अन्दर
हाथ
डालने
की
कोशिश
की
पर
निकर
बदन
से
चिपका
हुआ
था
, तो
मैंने
फिर से
बटन
को
खोलने
की
कोशिश
की
तो
इस
बार
मैंने
खोल
ही
दिया
!
"अच्छा ..." मेरा
पसीना
निकलना
शुरू
हो
गया
!
"भाई अब तो
मैंने
निकर
को
नीचे
उतरना
शुरू
किया
तो
पहले
तो
उसने
उतारने
ही
नहीं दिया
उसे
पकड़
कर
लेटी
रही
तो
मैंने
भी
निकर
के
ऊपर
से
उसकी
चूत
पर
हाथ
फेरा तो
वो
गरम
हो
गयी
और
उसने
निकर
उतारने
दी
, मैंने
झट
से
उसकी
निकर
नीचे
जांघों तक
उतर
दी
और
उसकी
पेंटी
के
ऊपर
से
ही
उसकी
चूत
चूसने
लगा
अब
तो
उसके
मुह से
सेक्सी
आवाजें
निकालने
लगी
"
"अरे यार गज़ब
कर
दिया
तुने
, पूरी
गरम
कर
डाली
" अब मै भी तैश
मै
था
"भाई फिर निकर
पूरी
उतारने
के
बाद
उसकी
ब्रा
को
खोला
और
अपना
लंड
निकाल
कर
उसके दोनों
चूचो
के
बीच
मै
रख
दिया
अब
तो
वो
पागल
हो
गयी
और
दोनों
चूचो
के
बीच
में मेरे
लंड
को
घेर
लिया
और
अपने
ही
चूचो
को
भिचने
लगी
!
"अच्छा...? मन कर
रहा
था
मुठ
मार
लूँ
"फिर उसने अपनी
ब्रा
खुद
ही
ऊपर
कर
ली
और
अपने
नंगे
चूचो
से
मेरे
लंड
के
टोपे
पर रगड़ने
लगी
, इतनी
चुदास
रांड
मैंने
आज
तक
नहीं
देखी
भाई
! में
फिर
और
उसके
ऊपर गया
और
उसके
मुह
के
पास
लंड
ले
गया
, पहले
तो
वो
सिर्फ
अपनी
जीभ
को
मेरे
लंड के
ऊपर
ही
फिराती
रही
पर
अचानक
ही
आधा
लंड
अन्दर
ले
लिया
और
चूसने
लगी
,
भाई कसम
से
मज़ा
दोगना
हो
गया
अब
तो
मैं
पागल
हो
गया
! बड़ी
देर
तक
अपना
लंड
उसके मुह
में
ही
डाले
रखा
और
अन्दर
बाहर
करता
रहा
, पर
जब
लगा
की
अब
झड़
जाऊंगा तो
बाहर
निकाल
लिया
अब
तो
मुझसे
रहा
ही
नहीं
गया
, मैंने
उसको
सीधा
लेटाया उसकी
पेंटी
पकड़ी
एक
झटके
में
नीचे
कर
के
दूर
फैंक
दी
, बिलकुल
नंगी
मेरे सामने
सोफे
पर
पड़ी
थी
, मैंने
उसकी
टांगे
चौड़ी
की
! अपना
लंड
उसकी
चूत
के
दरवाज़े पर
फिट
किया
और
बाहर
बाहर
रगड़ता
रहा
! अब
तो
वो
भी
अपनी
गांड
उचका
कर
लंड को
अन्दर
ले
जाना
चाहती
थी
पर
मै
उसे
और
तरसाता
रहा
! "
"फिर अन्दर डाला
या
नहीं
" मुझे सुनने की उत्सुकता
थी
!
"भाई तुमने ही
तो
कहा
था
की
पहली
बार
खाली
गरम
करना
, चोदना
नहीं
"
"पर यार जिस
तरह
से
तू
बता
रहा
है
, वैसे
तो
मैं
सोच
रहा
हूँ
तू
रुका
कैसे
होगा "
"भाई एक बात
बताऊँ"
"हा...बता न
जल्दी"
"भाई मैंने एक
बार
उसको
पेल
ही
दिया
"
"क्या....सही बता
..सच
मै
चोद
दिया
उसको"
"हा भाई मैं
जब
अपना
लंड
उसकी
चूत
पर
रगड़
रहा
था
तो
जिस
तरह
से
उसने
अपनी
चूत
को उचकाया
और
मेरा
लंड
निगलने
की
कोशिश
की
मुझसे
रहा
नहीं
गया
, और
मैंने
आव
देखा ना
ताव
सीधा
लंड
उसकी
चूत
मै
बाड़
दिया
!"
"ओह्हो ....अहह मज़ा
आ
गया
तुझे
भी
...साले
....चूत
चोद
दी
तुने
भी"
"हाँ भाई फिर
जो
मेरा
लंड
उसकी
चूत
के
अन्दर
बाहर
हो
रहा
था
ऐसा
जन्नत
का
मज़ा
आ रहा
था
की
पूछो
मत
"
"हाँ यार जानता
हूँ
...साली
रांड
है
.......लंड की प्यासी है
साली"
"भाई कम से
कम
पंद्रह
मिनट
तक
अन्दर
बाहर
करता
रहा
, फिर
सारी
पिचकारी
उसकी
चूत मै
मार
दी
"
"तू भी अन्दर
ही
हो
गया
....वाह
...आहा
मज़े
आ
गए
तेरे"
"भाई झकास माल
थी"
"बस एक बार
ही
चोदा"
"हाँ भाई, अगली
बार
का
प्रोग्राम
फिट
किया
है
अभी
मैंने"
"अच्छा कहाँ पर
"
"पता नहीं भाई
तुम
बताओ
कहाँ
उसने
घर
पर
तो
आने
के
लिए
मन
कर
दिया
है
, अब
तुम
ही मेरा
जुगाड़
कराओ
, वर्ना
मैं
यही
पम्प
हॉउस
मै
ले
आऊंगा
उसको"
"अरे यहाँ नहीं
यहाँ
कभी
भी
कोई
भी
आ
सकता
है
, मै
कुछ
जुगाड़
करता
हूँ
तेरा
,
पर अगली
बार
मेरे
सामने
चोदना
तू"
"हाँ भाई तुम्हारे
सामने
ही
चोदुंगा
, तुम
कहो
तो
तुम
भी
एक
शोट
लगा
लेना"
"नहीं यार अभी
नहीं
अभी
तुम
मज़े
लो,
पर
ये
बात
किसी
को
पता
नहीं
चले
" समझा"
"भाई विश्वास रखना"
मै वहां
से
घर
आ
गया
, घर
पर
मोउमिता मेरा इंतज़ार कर
रही
थी
हमने
खाना
खाया
और
मैंने एक
ट्रिप
लगाई
, फिर
मैं
भी
सो
गया
आँखों
मै
सपने
लिए
मोउमिता की चुदाई
के !
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